अनुसूचित जाति–जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले के खिलाफ इन सरकारी कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया।

These government employees protested against the decision of classification in reservation of Scheduled Castes and Tribes.
These government employees protested against the decision of classification in reservation of Scheduled Castes and Tribes.

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण व क्रीमी लेयर से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलितों की नाराजगी दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। दलित समुदाय तथा बहुजन संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रही है। सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा आरक्षण में वर्गीकरण के संबंध में दिया गया फैसला दलित समुदायों को रास नहीं आ रहा है। दलित समुदाय सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि – यह फैसला दलितों की एकता को तोड़ने के लिए लाया गया है। जो एकता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन भर संघर्ष करके दलितों के बीच स्थापित किया था, यह फैसला उसे ध्वस्त करने का काम कर रही है। यानी दूसरे शब्दों में कहें तो बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन भर की कमाई को खत्म करने वाला यह फैसला है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में देश के सभी दलित समुदायों तथा बहुजन संगठनों ने 21 अगस्त को भारत बंद बुलाया था। भारत बंद का असर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश में पड़ा था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सरकारी कर्मचारी भी विरोध प्रदर्शन करने लगे हैं।

रेलवे कर्मचारियों ने क्या विरोध प्रदर्शन

एससी–एसटी के आरक्षण में वर्गीकरण व क्रीमी लेयर के विरोध में पूर्व मध्य रेलवे के अंतराधीन कार्यरत एससी, एसटी रेलवे कर्मचारियों ने 28 अगस्त (बुधवार) को महाप्रबंधक (GM) कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। आपको बता दें कि पूर्व मध्य रेलवे जोन का मुख्यालय हाजीपुर (वैशाली) में स्थित है। पूर्व मध्य रेलवे जोन के अधीन पांच रेलवे डिविजन आते हैं, जो इस प्रकार हैं – धनबाद, दानापुर, मुगलसराय, सोनपुर तथा समस्तीपुर। इस विरोध प्रदर्शन में सभी डिवीजन के एससी, एसटी कर्मचारी उपस्थित हुए। कार्यक्रम की अगुवाई ऑल इंडिया एससीए / एसटी रेलवे एम्प्लॉयज एसोसिएशन (AISCSTREA) के जोनल अध्यक्ष महेंद्र कुमार तथा जोनल सेक्रेटरी पवन कुमार राम ने किया।


जोनल सेक्रेटरी पवन कुमार राम ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि – माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जो अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण तथा क्रीमी लेयर का प्रावधान करने का फैसला आया है, इससे पूरे देश के दलित समाज में व्यापक रोष है। दलित समुदाय बाबा साहब के द्वारा बनाए गए एकता को किसी भी कीमत पर खंडित होने नहीं देगा। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है एससी–एसटी के आरक्षण के संदर्भ में, वह दलितों की एकता को खंडित करने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि अदालत क्रीमी लेयर की बात करके भाई-भाई के बीच लड़वाने का काम किया है। इससे किसी का कोई फायदा होने वाला नहीं है।
उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ते हुए कहा कि – माननीय सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि जो लोग आरक्षण का लाभ ले लिए हैं या जिन जातियों को आरक्षण का लाभ ज्यादा मिला है, राज्य सरकार उसे वर्गीकृत कर अलग कैटेगरी बना सकती है या क्रीमी लेयर का प्रावधान करके आरक्षण से वंचित कर सकती है। जबकि इसका आंकड़ा ना तो सरकार के पास है और ना ही न्यायालय के समक्ष में पेश किया गया है। किस जाति के लोग आरक्षण का ज्यादा लाभ लिया है और किस जाति को कम मिला है? जब सरकार के पास इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा ही नहीं है, तो फिर सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का क्या मायने रह जाता है!

महाप्रबंधक (GM) को ज्ञापन सौंपा गया

AISCSTREA के जोनल अध्यक्ष महेंद्र कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण व क्रिमी लेयर के संबंध में दिए गए फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने मीडिया के समक्ष बातचीत के दौरान कहा कि – यह फैसला दलित समुदायों को आपस में लड़वाने का काम करेगा। साथ ही उन्होंने इस बात की भी संभावना जताई कि कोर्ट के इस फैसले के कारण राज्य की सरकारें अपनी राजनीतिक हित को साधने के लिए दलितों के बीच में बंटवारा करेगा। इससे किसी को फायदा मिलने वाला नहीं है बल्कि इस फैसले से बाबा साहब के जीवन भर की मेहनत से दलितों के बीच बनी एकता को नुकसान होगा। उन्होंने अपनी बात को रखते हुए कहा कि हमारा संगठन माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से सहमत नहीं है। इसके विरोध में हम अपने जोन के महाप्रबंधक (GM) को एक ज्ञापन सौंप रहे हैं जो माननीय प्रधानमंत्री के नाम से है। इस ज्ञापन में हमारी कुछ मांगे हैं जो हम केंद्र सरकार से अपेक्षा रखते हैं।

कर्मचारियों ने निम्नलिखित मांगे रखी

एससी एसटी कर्मचारी के संगठन ने अपने ज्ञापन के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण मांगे रखी –

  1. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय दिनांक 01 अगस्त, 2024 के खिलाफ रिव्यु पिटीशन दायर की जाए व इसे निष्प्रभावी करने के लिए तत्काल अध्यादेश लाया जाए व संविधान संशोधन विधेयक पारित किया जाए।
  2. माननीय न्यायालयों के माध्यम से अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के आरक्षण को समाप्त करने का लगातार प्रयास होता रहा है अतः आरक्षण कानून बनाकर इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में जोड़ा जाये।
  3. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग का दो-दो प्रतिशत आरक्षण बढ़ाया जाये तथा जातिगत जनगणना करके इन वर्गों का आबादी के अनुसार आरक्षण का प्रावधान किया जाये।
  4. अभी भी ग्रुप “ए” की उच्चतर सेवाओं, एक्स-कैडर पदों, लेटरल एंट्री व संविदा से भरे जाने वाले पदों सहित अनेकों जगह आरक्षण नहीं है अतः सभी जगह आरक्षण व्यवस्था लागू की जाये।
  5. सरकारी सेवाओं का तेज गति से निजीकरण हो रहा है तथा निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है जिससे अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के सरकारी नौकरी के अवसर घट रहे हैं अतः निजी क्षेत्र में आरक्षण का प्रावधान किया जाये।
  6. सरकारी विभागों में संविदा, पार्ट टाइम, ठेका पद्धति, आउटसोर्स व एजेंसी के माध्यम से अस्थाई रूप से रखे जाने वाले कार्मिकों की भर्ती में आरक्षण व्यवस्था लागू की जाये।
  7. माननीय सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों में कॉलेजियम सिस्टम तत्काल समाप्त कर इंडियन जुडिशल सर्विसेज का गठन कर ज्यूडिशरी में आरक्षण का प्रावधान किया जाये।
  8. माननीय सर्वोच्च न्यायालय की 9 जजों की बेंच के निर्णय के अनुसार अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग में क्रीमी लेयर लागू नहीं है फिर भी इन वर्गों के आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने व एक पीढ़ी को लाभ मिल जाये तो दूसरी पीढ़ी को लाभ न देने का सुझाव न्याय संगत नहीं है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों में एक ही परिवार की अनेकों पीढ़ियां कॉलेजियम सिस्टम से जज बने हैं अतः उन पर इसे लागू किया जाए।
  9. एक तरफ अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग में उप-वर्गीकरण की बात की जा रही है दूसरी तरफ इन वर्गों को EWS में आरक्षण लाभ लेने से वंचित किया जा रहा है। अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग को EWS में आरक्षण लाभ दिया जाये तथा अपनी योग्यता से सामान्य पद पर नियुक्त होने के लिए पात्र होते हैं तो उन्हें न रोका जाये।
  10. अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण महात्मा गाँधी व बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के बीच हुए पूना पैक्ट के तहत कम्युनल अवार्ड जिसमें इन वर्गों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल का प्रावधान था के बदले में दिया गया था। अतः अब यदि आरक्षण के साथ छेड़ छाड़ की जाती है तो हमें पृथक निर्वाचक मंडल दिया जाये।
  11. विभिन्न क्षेत्रों में जाति विशेष को पीढ़ी दर पीढ़ी आरक्षण दिया हुआ है जिसकी समीक्षा कर इसमें आरक्षण व्यवस्था लागू कर सभी जातियों के लोगों को इसमें प्रतिनिधित्व दिया जाये।
  12. अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के जिन लोगो को अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है उन्हें फ्री भोजन, आवास, शिक्षा, स्वास्थ, कोचिंग आदि की व्यवस्था कर उन्हें आगे लाने का कार्य किया जाये। उन्हें अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के आरक्षण के अलावा अलग से आरक्षण दिया जाए, जैसे – EWS को व राजस्थान में MBC को अलग से आरक्षण दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?

आपको बता दें कि 1 अगस्त 2024 को एक ऐतिहासिक फैसले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने वर्ष 2004 के ई. वी. चिन्नैया के फैसले को खारिज कर दिया।
दरअसल वर्ष 2004 के ई. वी. चिन्नैया के फैसले में कहा गया था कि – राज्य की विधानसभाएं प्रवेश और सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण हेतु अनुसूचित जातियों (SC) को उपजातियों में वर्गीकृत नहीं कर सकती है। डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के नए फैसले ने इसे खारिज करते हुए राज्य की विधानसभाओं को प्रवेश और सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण के लिए अनुसूचित जातियों को उपजातियों में वर्गीकरण करने का अधिकार दे दिया।
नए फैसले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि – अनुसूचित जातियां एकरूप समूह नहीं है और इसलिए राज्यों को एससी समुदाय के भीतर उपजातियों के बीच भेदभाव और पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों को पहचानने की अनुमति देता है। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा कि – राज्यों को उप वर्गीकरण की अनुमति देने से अनुसूचित जातियों की पहचान करने के लिए अनुच्छेद 341 के तहत राष्ट्रपति के विशेष अधिकार का उल्लंघन नहीं है।
बेंच में शामिल न्यायमूर्ति विक्रमनाथ ने तो न सिर्फ अनुसूचित जातियों को उपजातियों में बांटने की बात की बल्कि उन्होंने तो अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बीच क्रीमी लेयर लाने का भी विचार का समर्थन किया।

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