आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन योजना नहीं है। एससी-एसटी के आरक्षण में वर्गीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले तेजस्वी यादव

Reservation is not a poverty alleviation scheme. Tejashwi Yadav spoke on the Supreme Court's decision regarding the classification of SC-ST reservations
Reservation is not a poverty alleviation scheme. Tejashwi Yadav spoke on the Supreme Court’s decision regarding the classification of SC-ST reservations
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। जब से सुप्रीम कोर्ट ने एससी और एसटी के आरक्षण में वर्गीकरण को लेकर फैसला दिया है, तब से तमाम दलित समुदाय और बहुजन संगठन ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज की। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दलित समुदाय काफी नाराज है।
आपको बता दें कि 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के आरक्षण में उपजातियां बनाने के प्रावधान को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यहां तक कह दिया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले का मकसद बताते हुए कहा कि जिस परिवार को एक बार आरक्षण का लाभ मिल चुका है और लाभ लेकर समर्थ हो चुके हैं, तो उसे आरक्षण के सीमा से बाहर किया जा सकता है। उसके हिस्से का आरक्षण कमजोर तबके को दिया जाए।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को लेकर दलित समुदाय अपनी नाराजगी दिख रहे हैं। दलित समुदाय और बहुजन संगठनों ने अदालत के नियत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि “अदालत की मंशा आरक्षण को खत्म करने की है।” जहां अब तक सिर्फ दलित समुदाय और बहुजन संगठनों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोला था वहीं अब राजनीतिक पार्टियों भी अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। इसी कड़ी में एक नाम है तेजस्वी यादव का, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमति जताई। आपको बता दें कि तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल के नेता तथा वर्तमान में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।

तेजस्वी यादव ने इस फैसले का विरोध किया

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तथा वर्तमान में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि – “आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन योजना नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने छुआछूत और गैर बराबरी दूर करने के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान दिया था। इसमें आर्थिक आधार या क्रीमी लेयर की बातें कहां से आ गई? उन्होंने अदालत के फैसले पर सवाल करते हुए कहा कि – यदि कोई दलित समुदाय के लोग किसी बड़े पद पर नौकरी हासिल कर लेते हैं, तो क्या इससे उनका जातिगत पहचान दूर हो जाता है? उन्होंने कहा कि ऐसे सैकड़ो उदाहरण है कि बड़े बड़े पद पर आसीन पदाधिकारियों के साथ जातिगत भेदभाव होता है जो दलित समुदाय से आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सवाल पर तेजस्वी यादव ने कहा कि – हम सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करते हैं। हम लोग कानून को मानने वाले लोग हैं। लेकिन एक बात हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम और हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सहमत नहीं है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में आर्थिक आधार या क्रीमी लेयर जैसी शर्ते हमें मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने संविधान में इन लोगों को आरक्षण दिया, तो उन्होंने क्रीमी लेयर या आर्थिक आधार को देखकर नहीं दिया था। उस समय समाज में छुआछूत, भेदभाव और गैरबराबरी व्याप्त थी, जिसका सर्वाधिक शिकार दलित समुदाय हुआ था। वह आज भी जारी है! दलित और आदिवासियों के प्रति मानसिकता पूरी तरह से बदली नहीं है। आरक्षण इसी गैर बराबरी को दूर करने के लिए है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कोई संवैधानिक एंगल नहीं है।

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