
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया फैसला अब केंद्र सरकार के लिए भी मुसीबत बनता जा रहा है। फैसले के बाद से ही दलित समुदाय तथा बहुजन संगठनों ने इसकी आलोचना करना शुरू कर दिया था। साथ ही दलित समुदाय के लोगों ने केंद्र सरकार को भी इसका जिम्मेदार ठहराया। उसके बाद विपक्ष के नेताओं ने भी इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। आपको बता दें कि बिहार के क्षेत्रीय पार्टी व प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अपनी असहमति जताई है। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार को भी इस पर हस्तक्षेप करने की बात कही है।
लेकिन अब सरकार के सहयोगी दलों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। बिहार में सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJP–R) ने सुप्रीम कोर्ट के एससी–एसटी आरक्षण में वर्गीकरण तथा क्रीमी लेयर बनाने वाले फैसले पर अपना असहमति जताई। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुद को असंतुष्ट बताया। आपको बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJP–R) वर्तमान में केंद्र सरकार के सहयोगी दल हैं और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं। लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि – जब तक समाज में छुआछूत है, तब तक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण और क्रीमी लेयर नहीं होनी चाहिए।
चिराग पासवान ने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की
दरअसल जन लोक शक्ति पार्टी रामविलास (LJP–R) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि – जब तक समाज में छुआछूत है, तब तक एससी–एसटी आरक्षण में वर्गीकरण या क्रीमी लेयर की बात करना उचित नहीं है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट से एससी–एसटी आरक्षण में सब कैटिगरी और क्रीमी लेयर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। पार्टी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि – वह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के पक्षधर नहीं है। उन्होंने पार्टी के संस्थापक दिगवंत रामविलास पासवान जी के बात को दर्शाते हुए कहा कि जब तक समाज में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा कायम है। तब तक इन समुदायों के श्रेणियां को उप वर्गीकरण करना या इसके आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान करना उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर की बात की
आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि – आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के अंदर उप वर्गीकरण किया जा सकता है। यानी कि अब एससी एसटी आरक्षण के अंदर उप श्रेणी बनाकर कुछ खास जातियों को अलग आरक्षण दिया जा सकता है। इतना ही नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी के तर्ज पर एससी और एसटी वर्ग में भी क्रीमी लेयर लाने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सभी दलित समुदाय और बहुजन संगठन विरोध कर रहे हैं। कोर्ट के इस फैसले को दलित समुदाय के लोग एक षड्यंत्र के रूप में देख रहा है। तमाम बहुजन संगठनों का कहना है कि इस फैसले के जरिए दलित समुदाय के भीतर दरारें पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
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