यूपी पुलिस के कांवड़ यात्रा वाले आदेश पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा बोले…..

The controversy over UP Police's order on Kanwar Yatra is increasing. Congress leader Pawan Khera said
The controversy over UP Police’s order on Kanwar Yatra is increasing. Congress leader Pawan Khera said

उत्तर प्रदेश पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर ऐसा आदेश जारी किया है जिस पर विवाद हमने का नाम ही नहीं ले रहा है। यूपी पुलिस के इस आदेश को लेकर योगी सरकार और भाजपा की किरकिरी पूरे देश भर में हो रहा है। इसी कड़ी में एक नया नाम कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का है। यूपी पुलिस के इस आदेश पर भड़कते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि – क्या हिंदुओं के द्वारा बेचा गया मीट (मांस) दाल भात बन जाता है?
दरअसल, 18 जुलाई को मुजफ्फरनगर जिले में यूपी पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग के संबंध में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने सभी भोजनालयों को अपने ढाबे या दुकान के बाहर अपने मालिकों का नाम प्रमुखता से छापने का निर्देश दिया है। यूपी पुलिस के इसी आदेश पर हंगामा खड़ा हो गया। तमाम विपक्षी पार्टियों ने यूपी पुलिस के इस रवैया पर ऐतराज जताते हुए कहा कि – यह एक प्रकार से पक्षपात को बढ़ावा देना है, जो संविधान के मूल अधिकार के खिलाफ है। कांग्रेस ने यूपी सरकार के इस कदम को संविधान विरोधी बताते हुए कहा कि – संघ और भाजपा के लोग कभी भी भारत के संविधान को नहीं मानते हैं। यह आदेश उनके संविधान विरोधी मानसिकता को उजागर करती है यूपी पुलिस का यह आदेश सीधे-सीधे संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन करती है, जो एक प्रकार से हमारा मूल अधिकार है। कांग्रेस ने इस मामले में न्यायालय को भी हस्तक्षेप करने की बात कही है।

संविधान के अनुच्छेद 15 में क्या प्रावधान है?

अनुच्छेद 15, भारतीय संविधान 1950
(1) राज्य किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।

(2) कोई भी नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर निम्नलिखित के संबंध में किसी निर्योग्यता, दायित्व, प्रतिबंध या शर्त के अधीन नहीं होगा-
(क) दुकानों, सार्वजनिक रेस्तरां, होटलों और सार्वजनिक
मनोरंजन के स्थानों तक पहुंच; या
(ख) कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक
समागम स्थलों का उपयोग, जो पूर्णतः या आंशिक
रूप से राज्य निधि से बनाए गए हों या आम जनता
के उपयोग के लिए समर्पित हों।

अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर साधा निशाना

देश में तीसरे सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस आदेश को लेकर यूपी पुलिस के साथ-साथ योगी सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि – मुजफ्फरनगर पुलिस ने जनता के भाईचारे और विपक्ष के दबाव में आकर आखिरकार होटल, फल, ठेलेवालों को अपना नाम लिखवा कर प्रदर्शित करने के प्रशासनिक आदेशों को स्वैच्छिक बनाकर जो अपनी पीठ थपथपाई है, उतने से ही अमन और चैन पसंद करने वाली जनता मानने वाली नहीं है। ऐसे आदेश पूरी तरह से खारिज की होना चाहिए। आगे उन्होंने देश की न्यायपालिका से भी इस पर संज्ञान लेने की मांग करते हुए कहा कि – माननीय न्यायालय सकारात्मक हस्तक्षेप करते हुए शासन के माध्यम से यह सुनिश्चित करवाए कि भविष्य में ऐसा कोई भी विभाजनकारी काम शासन प्रशासन नहीं करेगा। उन्होंने आगे लिखा कि – यह प्रेम और सौहार्द से उपजी एकता की जीत है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इसकी निंदा की

बसपा सुप्रीमो बहन मायावती ने भी सरकार के इस कदम की निंदा की और इसे घोर आपत्तिजनक बताया। मायावती ने कहा कि – पश्चिमी यूपी व मुजफ्फरनगर जिला के कावड़ यात्रा रूट में पड़ने वाले सभी होटल, ढाबा, ठेला आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश यह गलत परंपरा है, जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है। जनहित में सरकार इसे तुरंत वापस ले।

पार्टी के अंदर से भी विरोध की आवाज उठने लगी।

यूपी पुलिस के इस फरमान पर अभी तक जहां विपक्ष विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तो वहीं अब पार्टी के अंदर भी विरोध की आवाज सुनाई देने लगा है। योगी सरकार के इस फैसले पर अब भारतीय जनता पार्टी के नेता भी तंज करने लगे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी योगी सरकार के इस फैसले पर अपनी नाराजगी जहर की है। नकवी ने अपना रोष व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि – कुछ अति उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गड़बड़ी वाली…. अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकता है। आस्था का सम्मान होना ही चाहिए पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए। आगे उन्होंने अपने पोस्ट में संत रविदास की एक दोहा को लिखा है “जनम जात मत पूछिए का जात अरु पात, रैदास पुत सब प्रभु के कोए नहिं जात कुजात।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल उत्तर प्रदेश के योगी सरकार ने कावड़ यात्रा के लिए जो रूट निर्धारित किया है, उस रूट में यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के करीब–करीब 250 किलोमीटर मार्ग पड़ता है। इसी रूट पर सभी दुकानदारों, ढाबों, भोजनालय के साथ-साथ रेहडी पटरी वालों को मुजफ्फरनगर पुलिस ने आदेश दिया कि वह अपने नाम की तख्ती अपने-अपने दुकान के सामने लटका दें। हालांकि यह आदेश सिर्फ मुजफ्फरनगर तक ही सीमित नहीं रहा। बाद में मुजफ्फरनगर के साथ-साथ सहारनपुर और शामली जैसे क्षेत्रों में भी ऐसा ही आदेश जारी हुआ। योगी सरकार की पुलिस महकमें से यह फरमान जारी होने के बाद ही विवाद बढ़ने लगा।

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