यूपी में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों के नाम लिखवाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा! आज होगी सुनवाई

The matter of writing the names of shopkeepers on the Kanwar Yatra route in UP has reached the Supreme Court! Hearing will be held today
The matter of writing the names of shopkeepers on the Kanwar Yatra route in UP has reached the Supreme Court! Hearing will be held today

उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले सभी भोजनालयों, ढाबों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम को लिखवाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर योगी सरकार के इस आदेश को चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सोमवार को सुनवाई करेगी।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के द्वारा पिछले दिनों एक सरकारी फरमान जारी किया गया था, जिसमें कांवड़ रूट पर पड़ने वाले सभी भोजनालय और ढाबे समेत अन्य सभी दुकानों के बाहर उनके मालिकों के नाम को लिखा जाना अनिवार्य कर दिया। योगी आदित्यनाथ सरकार के इस फैसले के बाद राज्य के साथ-साथ पूरे देश भर में उसकी आलोचना होने लगी। यहां तक की पार्टी के अंदर के वरिष्ठ नेताओं ने भी इसकी निंदा की थी। अब इस मामले को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में लाया गया है।

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच करेगी सुनवाई
उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है सोमवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट (APCR) नामक एनजीओ ने दायर किया है। इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अदालत से स्वत: संज्ञान लेने की गुहार लगाई थी। पर अब इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है।

18 जुलाई को जारी किया गया था यह आदेश
दरअसल उत्तर प्रदेश के योगी सरकार द्वारा 18 जुलाई को यह आदेश जारी किया गया था। सबसे पहले यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के पुलिस ने कांवड़ यात्रा के संबंध में एक आदेश जारी किया कि कांवड़ यात्रा मार्ग में जितने भी ढाबे या भोजनालय है, उन सभी ढाबों के मालिकों का नाम अपने दुकान के बाहर छापा जाए। बाद में शामली और सहारनपुर जैसे जिले में भी वहां के पुलिस प्रशासन ने दुकानदारों को ऐसा ही निर्देश दिया। फिर बाद में यूपी के योगी सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी किया।
योगी सरकार के इस आदेश पर हंगामा खड़ा हो गया। तमाम विपक्षी पार्टियों ने यूपी पुलिस व योगी सरकार के इस फैसले पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि – यह आदेश इस देश के एकता और भाईचारे को खंडित करने वाली फरमान है। इस आदेश से समाज में पक्षपात और आपसी द्वेष को बढ़ावा मिलेगा।
कांग्रेस ने इसे संविधान विरोधी बताते हुए कहा कि – यह आदेश भाजपा के संविधान विरोधी मानसिकता को उजागर करती है। यूपी पुलिस व योगी सरकार का यह आदेश संविधान के मूल अधिकार के खिलाफ है।
एक ओर जहां इस आदेश का विरोध अखिलेश यादव, बहन मायावती, प्रियंका गांधी जैसे विपक्षी दलों के नेताओं ने किया। वहीं मुख्तार अब्बास नकवी जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेता ने भी इस आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। सूत्रों के अनुसार अब भाजपा के सहयोगी दल और एनडीए में शामिल जदयू, आरएलडी जैसे विभिन्न दलों ने भी योगी सरकार के इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताते हुए यूपी सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं।PPPP

सहयोगी दल बोले–बिना सोचे समझे लिया गया आदेश
उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रमुख सहयोगी RLD ने इस मुद्दे पर अपनी राय खुलकर रखी। आरएलडी के अध्यक्ष एवं केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि – ऐसा लगता है कि यह बिना सोचे समझे लिया गया आदेश है और यूपी सरकार इस पर इसलिए अड़ी हुई है, क्योंकि यह निर्णय ले लिया गया है। कभी-कभी सरकार में ऐसी चीजें हो जाती है।
पर जब मीडिया कर्मी की तरफ से जयंत चौधरी से यह सवाल पूछा गया कि – क्या योगी सरकार को यह निर्णय वापस ले लेना चाहिए? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि – सरकार के पास अभी समय है इसे वापस लिया जा सकता है या फिर सरकार को चाहिए कि इसे लागू करने पर प्रशासन पर ज्यादा जोर ना दें। जयंत चौधरी ने आगे कहा कि कांवड़ की सेवा सभी करते हैं। कांवड़ की पहचान कोई नहीं करता और ना ही कांवड़ सेवा करने वालों की पहचान धर्म या जाति से की जाती है। जयंत चौधरी ने योगी सरकार के फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि – उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला ज्यादा सोच समझकर नहीं लिया है। केंद्रीय मंत्री ने योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि – जब आप सभी दुकानों पर उसके मालिकों का नाम लिखवा रहे हो तो मैकडॉनल्ड और बर्गर किंग क्या लिखेगा? आरएलडी प्रमुख ने कहा कि – इस मामले को धर्म और जाति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। भारत विविधताओं का देश है। यहां अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं, विभिन्न भाषा के लोग रहते हैं और अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं आप किनसे–किनसे उनका नाम और पहचान लिखवाते रहेंगे?

मुजफ्फरनगर में कांवड़ियों ने ढाबे में किया जमकर तोड़फोड़ जान बचाकर भागे रसोईया।

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