डीएमके नेता ए राजा ने अनुसूचित जाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर के प्रावधान वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर की

DMK leader A Raja expressed his displeasure over the Supreme Court's decision on the provision of creamy layer in reservation for Scheduled Castes
DMK leader A Raja expressed his displeasure over the Supreme Court’s decision on the provision of creamy layer in reservation for Scheduled Castes
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में उप वर्गीकरण तथा क्रीमी लेयर का फैसला को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने केंद्र के मोदी सरकार को भी संकट में डाल दिया है। एक तरफ जहां दलित समुदाय और बहुजन संगठनों के द्वारा इस फैसले का विरोध हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दल और राजनेताओं के द्वारा भी खुलकर प्रतिक्रिया देने लगा। इन सब के बीच केंद्र में बैठी मोदी सरकार चारों ओर से घिरते नजर आ रहे हैं। अभी तक जहां राष्ट्रीय जनता दल जैसे विपक्षी पार्टियों ने इस फैसले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। वहीं दूसरी तरफ सरकार के सहयोगी दलों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी असहमति जताई है।

द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) ने फैसले पर आपत्ति जताई

इसी बीच एक और राजनीतिक पार्टी ने अदालत के इस फैसले पर अपना असहमति जताई। डीएमके सांसद ए राजा ने लोकसभा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि – “दलित समुदाय में इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले उनके अधिकारों को कमजोर कर सकती है।” आपको बता दें कि ए राजा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेता के साथ-साथ निलगिरी लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी है

ए राजा ने कहा कि भेदभाव अभी खत्म नहीं हुए हैं

डीएमके सांसद ए राजा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि सरकार दलितों के आरक्षण अधिकारों की रक्षा के लिए सुरक्षा उपाय लागू करे। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण संबंधी फैसले के बाद दलित समुदाय में इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि अदालत उनके आरक्षण के अधिकारों को खत्म कर सकती है। ए राजा ने लोकसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि – इस देश से दलितों के प्रति भेदभाव अभी खत्म नहीं हुआ है। आज भी देश के कई हिस्सों से दलितों के साथ भेदभाव और अत्याचार की घटनाएं सामने आते रहते हैं। आर्थिक स्थिति दलितों के सामाजिक हालात को नहीं बदलते हैं। उन्होंने एक उदाहरण पेश करते हुए कहा कि – यहां तक कि हरियाणा में एक आईपीएस अधिकारी को भी अपने विवाह समारोह के दौरान घोड़े पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी गई।
डीएमके नेता ए राजा ने यह बातें सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 1 अगस्त को दिए फैसले के जवाब में कहा, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सात जजों की बेंच ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के समूह के भीतर उप वर्गीकरण तथा क्रीमीलेयर लाने की बात की। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का तमाम दलित समुदाय तथा बहुजन संगठनों के द्वारा इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है। दलित समुदायों ने अदालत के मंशा पर भी सवाल किया है। उन लोगों का मानना है कि अदालत के जरिए दलितों के बीच फूट डालने का काम किया जा रहा है।

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