
भारत बंद : बिहार पुलिस ने अंबेडकरवादियों को पीटने के चक्कर में अपने अधिकारी को ही पीट दिया
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में वर्गीकरण तथा क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देशभर के दलित समाज ने 21 अगस्त को भारत बंद बुलाया था। भारत बंद का असर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश भर में देखा गया। हालांकि इस बंद के समर्थन में कई राजनीतिक पार्टियों भी आई लेकिन इसका आह्वान दलित समुदाय की तरफ से ही किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
आपको बता दें कि 1 अगस्त 2024 को एक ऐतिहासिक फैसले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने वर्ष 2004 के ई. वी. चिन्नैया के फैसले को खारिज कर दिया।
दरअसल वर्ष 2004 के ई. वी. चिन्नैया के फैसले में कहा गया था कि – राज्य की विधानसभाएं प्रवेश और सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण हेतु अनुसूचित जातियों (SC) को उपजातियों में वर्गीकृत नहीं कर सकती है। डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के नए फैसले ने इसे खारिज करते हुए राज्य की विधानसभाओं को प्रवेश और सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण के लिए अनुसूचित जातियों को उपजातियों में वर्गीकरण करने का अधिकार दे दिया।
नए फैसले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि – अनुसूचित जातियां एकरूप समूह नहीं है और इसलिए राज्यों को एससी समुदाय के भीतर उपजातियों के बीच भेदभाव और पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों को पहचानने की अनुमति देता है। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा कि – राज्यों को उप वर्गीकरण की अनुमति देने से अनुसूचित जातियों की पहचान करने के लिए अनुच्छेद 341 के तहत राष्ट्रपति के विशेष अधिकार का उल्लंघन नहीं है।
बेंच में शामिल न्यायमूर्ति विक्रमनाथ ने तो न सिर्फ अनुसूचित जातियों को उपजातियों में बांटने की बात की बल्कि उन्होंने तो अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बीच क्रीमी लेयर लाने का भी विचार का समर्थन किया।
भारत बंद शांतिपूर्ण तरीके से सफल रहा
भारत बंद का नेतृत्व कर रहे तमाम दलित संगठनों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस आंदोलन में एक बात अच्छा हुआ कि कहीं से भी कोई हिंसा की घटना सामने नहीं आया। अगर बिहार को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि कहीं से भी कोई अनहोनी खबर सामने नहीं आई, जो कि इस आंदोलन के लिए अच्छी खबर थी। दलित समुदायों का कहना था कि हमारा मकसद देश में किसी भी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न करना नहीं है। हम सरकार को सिर्फ यह बताना चाहते हैं कि सरकार हमें बेवकूफ समझना बंद करे। सरकार जो न्यायपालिका के माध्यम से हमारे हक और अधिकार को छीनने का काम कर रही है, हम उनकी होशियारी को अच्छी तरह से समझते हैं। दलित समुदाय के लोगों ने सरकार पर फूट डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला किसी को लाभ देने के लिए नहीं आया है, बल्कि यह फैसला दलित समाज के एकजुटता को तोड़ने का काम करेगी।
बिहार में दलित समुदायों पर जमकर लाठी बरसाई गई
देश के अन्य हिस्सों के भांति बिहार में भी दलित समुदाय और बहुजन संगठनों ने भारत बंद में अपनी भागीदारी दिखाई। बिहार में भीम आर्मी के साथ-साथ अन्य दलित संगठनों ने नेतृत्व किया। लेकिन पटना में दलित समुदायों पर पुलिस ने जमकर लाठी चार्ज किया। विरोध प्रदर्शन में शामिल दलित पर समुदायों ने मीडिया को बताया कि हम लोग शांतिपूर्ण तरीके से भारत बंद में शामिल हुए थे। हम लोग अपने हक और अधिकार के लिए सरकार का विरोध शांतिपूर्ण तरीके से कर रहे थे। लेकिन पुलिस ने आव देखा ना ताव लाठियां चलानी शुरू कर दी। हम लोग पुलिस प्रशासन से गुहार लगाते रहे, लेकिन उन्होंने हमारी एक न सुनी। विरोध प्रदर्शन में शामिल दलितों ने कहा कि बिहार पुलिस को लोगों के ऊपर लाठियां बरसाने में आंतरिक आनंद आता है। जबकि हमारी लड़ाई ना तो बिहार पुलिस से है और ना ही बिहार सरकार से फिर भी उन्होंने हमें अपने अधिकार व्यक्त करने नहीं दिया जो कि हमारा संवैधानिक अधिकार है।
आपको बता दें कि भारत बंद पूरे देश भर में असरदार रहा, लेकिन पुलिस की लाठी चार्ज की खबरें सिर्फ बिहार से ही आई। बिहार एकमात्र राज्य रहा जहां भारत बंद कर रहे दलित प्रदर्शनकारियों के ऊपर जमकर लाठी बरसाई गई।
पुलिस ने अपने अधिकारियों को भी नहीं छोड़ा
आपको बता दे कि बिहार में भारत बंद में शामिल दलित समुदायों के ऊपर लाठी बरसाने में बिहार पुलिस इस तरह मग्न थे कि उन्होंने अपने अधिकारियों को भी नहीं छोड़ा। दरअसल प्रदर्शनकारियों ने पटना में यातायात को जाम कर अपना विरोध दर्ज कर रहे थे। उसी का मुआयना करने आए एसडीएम साहब के ऊपर बिहार पुलिस ने जमकर लाठी बरसा दी। प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक पुलिस को लगा कि यह भी भारत बंद करने के लिए प्रदर्शन में आए हैं, इसलिए बाकियों की तरह एसडीएम साहब को भी जमकर पीट दिया। जब उसी पुलिस कर्मियों में से कुछ ने पहचान लिया तो फिर तीन पुलिसकर्मी एसडीएम साहब को घेर कर उस चंगुल से बाहर निकाला।